Wednesday, October 16, 2024

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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी में मिडिल-ईस्ट के पहले

हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया

शापूरजी पालोनजी ने एक और आईकॉनिक प्रोजेक्ट – अबू धाबी (यूएई) में बीएपीएस हिंदू मंदिर का निर्माण पूरा किया। इस ग्रुप ने दुनिया भर में ऐतिहासिक स्थलों के निर्माण की अपनी विरासत को बरकरार रखा है।

फरवरी, 2024: भारत के प्रमुख व्यावसायिक घरानों में से एक, शापूरजी पालोनजी ग्रुप ने मिडिल-ईस्ट में पहले हिंदू मंदिर के निर्माण के सफलतापूर्वक पूरा होने की घोषणा की। 14 फरवरी, 2024 को अबू धाबी में आयोजित एक भव्य समारोह में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बीएपीएस हिंदू मंदिर का उद्घाटन किया। यह ऐतिहासिक परियोजना सही मायने में सांस्कृतिक एवं धार्मिक एकता को बढ़ावा देने तथा भारत और यूएई के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

संयुक्त अरब अमीरात के रेतीले भूभाग पर स्थित यह मंदिर वास्तुशिल्प का चमत्कार है। यह मंदिर अबू धाबी के बाहरी इलाके में 27 एकड़ रेगिस्तानी जमीन पर फैला हुआ है, जिसका श्रेय अबू धाबी के तत्कालीन क्राउन प्रिंस महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को जाता है, जिन्होंने उदारतापूर्वक इस मंदिर के लिए जमीन दान में दी।

यह मंदिर बीएपीएस स्वामीनारायण संस्था (इस संस्था ने भारत के अलावा दुनिया भर में कई स्वामीनारायण मंदिरों का निर्माण किया है) की एक पहल है, जो सभी धर्मों के लिए खुला है। यह भारत की संस्कृति के साथ-साथ वास्तुकला और मूर्तिकला में देश के प्राचीन कौशल की मिसाल है। इस भव्य मंदिर को सदियों पुराने भारतीय ग्रंथों में बताई गई निर्माण की विधि के अनुसार बनाया गया है, जो कमल की आकृति से प्रेरित है। इसमें 7 शिखर हैं, जो यूएई के 7 अमीरातों को दर्शाते हैं।

इस अवसर पर बीएपीएस के निदेशक, श्री प्रणव देसाई ने कहा, “अबू धाबी में हिंदू मंदिर बनाने का हमारा सपना अब हकीकत बन गया है। शापूरजी पालोनजी ने हमारे साथ मिलकर रेगिस्तान में इस कमल को बनाने में बेहद अहम भूमिका निभाई है। पूरी दुनिया में सौहार्द की भावना के हमारे विजन को साकार करने के उद्देश्य से रेगिस्तान में तैयार किए गए इस आध्यात्मिक व सुखद स्थान के लिए हम शापूरजी पालोनजी का आभार व्यक्त करते हैं।”

शापूरजी पालोनजी ग्रुप के अध्यक्ष, शापूरजी पी मिस्त्री ने कहा, “शापूरजी पालोनजी में, हमारे लिए बीएपीएस के साथ मिलकर काम करना और इस बेमिसाल स्मारक का निर्माण करना बड़े सम्मान की बात है, जो कला, सौहार्द और आस्था का बेजोड़ संगम है। यह सांस्कृतिक विविधता का उत्सव होने के साथ-साथ इंजीनियरिंग में हमारी विशेषज्ञता की मिसाल है।”

शापूरजी पालोनजी ने इस प्रोजेक्ट में पारंपरिक तौर पर प्राचीन भारतीय वास्तुकला की आवश्यकताओं के साथ सुरक्षा, रोशनी की व्यवस्था और एयर कंडीशनिंग जैसी आधुनिक तकनीक को सफलतापूर्वक एक साथ जोड़ा है।

प्रतिदिन 15,000 से अधिक श्रद्धालुओं की सेवा के लिए इस मंदिर परिसर में 7 इमारतों का निर्माण किया गया है। इसमें बेहद खास जल स्रोत भी मौजूद हैं, जो तीन प्रमुख नदियों – गंगा, यमुना और सरस्वती का प्रतिनिधित्व करते हैं। मुख्य मंदिर का निर्माण राफ्ट फाउंडेशन पर किया गया है जिसके लिए यूएई के अनरिइन्फोर्स्ड फ्लाई-ऐश कंक्रीट के सबसे बड़े एकल मिश्रण का उपयोग किया गया है। इसमें लोहे और स्टील के सुदृढीकरण के बजाय बांस की छड़ों और ग्लास फाइबर का उपयोग किया गया है।

इसी नींव पर मंदिर का सामने वाला हिस्सा बनाया गया है, जिसमें इटली से 40,000 घन मीटर संगमरमर और राजस्थान से 1,80,000 घन मीटर गुलाबी बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है। बीएपीएस के लिए राजस्थान में हजारों कारीगरों और स्वयंसेवकों ने पत्थरों पर बारीकी से नक्काशी की। फिर इन सभी को अबू धाबी में एक-साथ जोड़ा गया, जो बहुत बड़े आकार के एक जिग-सॉ पज़ल की तरह था।

159 वर्षों की विरासत को संजोने वाले शापूरजी पालोनजी ग्रुप ने दुनिया भर में कई ऐतिहासिक स्थलों का निर्माण किया है। यह समूह लगभग बीते 50 सालों से मिडिल-ईस्ट में मौजूद है, जिसने 1975 में मस्कट के सुल्तान पैलेस से शुरुआत की थी। हाल के दिनों में भारत में इस समूह की प्रमुख परियोजनाओं में नई दिल्ली में भारत मंडपम और कर्तव्य पथ, पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डा और हिमाचल प्रदेश में अटल सुरंग शामिल हैं।

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